बीमार भैंसे का बच्चा
बीमार भैंसे का बच्चा
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हेलो वेलकम बैक टू माय ब्लॉग द ड्रीम जर्नल। कैसे हो आप सब ? आशा करती हु की आप सब लोग अपने अपने घरों में हेल्दी होंगे । सही कहा ना?
तो चलो आज की कहानी शुरू करे। तो आज हम कहानी में देखेंगे मोलू ने कैसे भैंसे के बच्चे की जान बचाई । आज की कहानी बहुत रोमांचक होने वाली है तो आशा करती हु की आप अंत तक जरूर पढ़ेंगे।
आज जंगल में बहुत सुहाना मौसम था। ऐसे सुहाने मौसम में बल्लू मोलू को लेसन दे रहा था। पर मोलू ध्यान दे तो सही ना । बल्लू मोलू को आज जड़ी बुटी का लेसन दे रहा था। कौनसी जड़ी बुटी किस बीमारी का तोड़ निकलेगी ओ बता रहा था। मोलू को सिर्फ एक ही बात ध्यान मैं थी उसे नदी के पास नहाने जाना था। मोलू को सवेरे नहाना अच्छा लगता था। पर बल्लू की वजह से वह नहीं जा पा रहा था। तभी वहा डाजी आती है और बल्लू से कहती है"अरे बल्लू मैं तूमें कुछ बताने आई हु , मगर मैं भूल गई।" बल्लू ने कहा "ठीक से याद करो डाजी।" डाजी को याद आया और उसने कहा पहाड़ी पर एक लंगूर का बच्चा बीमार है उसे तुमारी जड़ी बूटी की जरूरत हैं। यह सुनते ही बल्लू पहाड़ी की और निकल गया जड़ी बूटी लेकर ,और मोलू से कहा " अब में आने के बाद अगला लेसन करेंगे।" यह सुनते ही मोलू का चेहरा देखने लायक हो गया था।
मोलू और बागिरा अब नहाने जाते हैं। डाजी भी उनके पीछे पीछे जाती हैं। मोलू नहाने नदी में उतरने ही वाला था तभी झाड़ियों के पीछे से आवाज आई । मोलू डर गया।मोलू को लगा शेर खान हैं। बागिरा ने कहा " मोलू तुम रुको मैं देखता हूं ।" बागिरा आगे आगे चलता रहा ,और एकदम से झाड़ियों पर से कूदा। कूदते ही उसे दिखा एक भैसे का बच्चा बीमार था ।
बागिरा के पीछे मोलू भी आया । उने देखते ही भैंस उनके सामने आपने शिंग दिखा कर खड़ी रही। उसने कहा खबरदार जो हमारे पास आए तो । मोलू ने कहा " डरो मत हम तुमारे दोस्त है।" हम तुमें खाने नही आए हैं। मोलू ने कहा " तुमारे बच्चे को क्या हुआ है ?" उस भैसे ने कहा "मेरे बच्चे को बुखार आया है,और वो सीधे से खड़ा भी नहीं हो पा रहा हैं ।" मोलू ने कहा " तुम डरो मत बल्लू के पास इसकी दावा है।"
पर बल्लू तो पहाड़ी पर गया है । पहाड़ी यह से बहुत दूर हैं। मोलू सोच मैं पड़ जाता है l बागिरा कहता है " मोलू तुमें सुबह जड़ी बूटी का लेसन दिया है ना।" मोलू कहता है "हा लेकिन मुझे ठीक से याद नहीं है।" मोलू भागकर अपने घर जाता है और वहा रखी सारे जड़ी बूटी लेकर नदी के पास आता हैं। मोलू सोच ही रहा था अब क्या करे । तब तक मोलू को एक युक्ति सूची । उसने डाजी से कहा "मुझे तुमारी मदत चाहिए ।" डाजी कहती है " क्या चाहिए बताओ मैं जरूर करूंगी ।" मोलू ने डाजी को बताया तुमें बल्लू के पास जाना होगा पहाड़ी पर और उससे पूछना होगा बुखार के लिए कोनसी जड़ी बूटी हैं। मोलू की बाते सुनते ही डाजी वहा से पहाड़ी की और चली गई ।
मोलू को अब डर लग रहा था , क्योंकि डाजी को भूलने की बीमारी हैं। डाजी अब भी भूल गई तो इस बच्चे को कैसे बचाएंगे। मोलू ने उस बच्चे को थोड़ा सा पानी लाकर दिया और कहा तूमें आराम मिलेगा पानी पी लो। उस बच्चे ने थोड़ा सा पानी पी लिया । उस बच्चे को तबियत खराब ही हो रही थी । सब लोग डाजी की राह देख रहे थे।
मोलू को जिस बात का डर था वही हुआ डाजी भूल गई । पर उसे उड़ते हुए बल्लू ने देख लिया था। बल्लू ने पूछा " डाजी तुम यहां क्या कर रही हो ?" डाजी ने कहा " मुझे मोलू ने भेजा है मगर कुछ याद नहीं आ रहा हैं ।" बल्लू ने कहा " याद करो डाजी मोलू ने तुमें जरूर किसी काम से भेजा होगा ।" डाजी कहती है " हा... हा याद आया, मोलू ने मुझे ये पूछने भेजा है की बुखार की दवा कौनसी है।" बल्लू कहता है " लाल वाली बेरी ही बुखार की दवा हैं।"
डाजी वहा से मोलू के पास आती है। मोलू को कहती है लाल वाली बेरी ही बुखार की दावा हैं। मोलू कहता है" तुमें ठीक से याद है ना ?" डाजी कहती है " बल्लू ने लाल वाली बेरी ही कहा था।" मोलू भैस की बच्चे को लाल बेरी खिलाता हैं। उस लाल बेरी को खाने के बाद उस बच्चे को अच्छा लग रहा था। ओ उठकर खड़ा हो गया । और अपनी मां से कहा मुझे अच्छा लग रहा हैं। मोलू सोच रहा था डाजी ने कैसे याद रखा होगा?
तब तक वहा बल्लू आता हैं। बल्लू ने कहा "मैंने डाजी को याद रखने की बेरी दी थी "। उस भैंस ने सब से शुक्रिया कहा और वहा से चली गई।
तो आज की कहानी हमारी यही खत्म होती है । अगली कहानी लेकर जल्द आऊंगी । तब तक रीड द ड्रीम जर्नल ।
Thank you।
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