मोलू की पतंग
मोलू की पतंग
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हेलो वेलकम बैक टू माय ब्लॉग द ड्रीम जर्नल। कैसे हो आप सब ? आशा करती हु की आप सब लोग अपने अपने घरों में हेल्दी होंगे । सही कहा ना?
तो चलो आज की कहानी शुरू करे। तो आज हम कहानी में देखेंगे मोलू को भेड़ियों मैं कैसे शामिल कर लिया। आज की कहानी बहुत रोमांचक होने वाली है तो आशा करती हु की आप अंत तक जरूर पढ़ेंगे।
मोलू और बल्लू एक पेड़ के नीचे बैठे थे। बल्लू हर बार तरह आज भी लेसन दे रहा था। अब आप सोचेंगे की बागिरा कहा गया तो बागिरा गया था शिकार करने । बल्लू और मोलू की बाते शुरू थी तब तक मोलू को हवा से उड़ती उड़ती आई एक चीज दिखी। मोलू जोर से चिलाया। बल्लू डर गया , और मोलू से पूछा "क्या हुआ तुम इतनी जोर से क्यों चीखें?"
मोलू कहता हैं " वो....! देखो बल्लू तुमारे पीछे हवा से उड़कर कुछ गिरा । " बल्लू पीछे मुड़ कर देखता है ,तो क्या एक पतंग थी । मोलू ने बल्लू से पूछा " ये क्या है?" बल्लू ने कहा "यह पतंग है इंसान इसे हवा में उड़ते हैं।" बल्लू की बाते अभी पूरी ही न हुई मोलू उस पतंग को है में उतने चला गया । बल्लू पीछे से मोलू को बुला रहा था लेसन के लिए पर , मोलू ने कहा " बाद में बल्लू अभी मुझे खेलना हैं।" बल्लू ने कहा " यहीं आस पास रखना दूर मत जाना ।" मोलू उस पतंग को उड़ने का मजा ले ही रहा था । तब तक डाजी वहा आ गई। डाजी उस पतंग को देखकर चौक गई क्योंकि पतंग डाजी से भी ऊंची उड़ रही थी ।
पर देखते ही देखते जंगल में जोर जोर हवा बहने लगी । मोलू की पतंग ऊंची ऊंची गई और एक पेड़ में फस गई। उस पेड़ पे कंगवा अपना खाना खा रहा था। कंगवा को लगा पंतन उसका खाना लेने आई है। कंगवा ने उस पतंग पर छलांग मारी । जैसी ही कंगवा ने उस पतंग पर छलांग मारी मोलू ने उस पतंग को खींचा और हवा में उड़ा दिया।
मोलू को पता ही नहीं था की पतंग पर कंगवा बैठा है। जब कंगवा चिलाने लगा बचाव ...बचाव...! तब मोलू को पता चला को उसकी पतंग पर कंगवा बैठा है । मोलू ने कहा "डरो मत कंगवा में तूमें बचा लूंगा ।" पतंग हवा मैं जोर जोर से यहां से वहा जा रही थी। मोलू के हात से पतंग की डोर छूट गई। अब मोलू डर गया था अब क्या करे सोच रहा था। मोलू ने डाजी से कहा " कंगवा को कहो डरो मत मैं आ रहा हु उसे बचाने ।" डाजी ने कंगवा को बताया डरो मत मोलू तूमे बचाने आ रहा हैं। कंगवा ऊंचाई देख कर बहुत डर गया था। ओ डाजी से कह रहा था मुझे नीचे आना हैं। डाजी कहनी लगी अरे...! उड़ने मैं तो कितना मजा आता हैं । कंगवा उसपर चिलया और कहा " मोलू से कहो जल्दी मुझे बचाएं।"
डाजी नीचे आई और मोलू से कहा " कंगवा बहुत डर गया हैं उसे बचाओ ।" मोलू ने कहा तुम उसे पहाड़ी पर कूदने के लिए कहो, और पहाड़ी पर कूदने पर आवाज मत निकलना।" डाजी ने पूछा क्यों ? मोलू ने कहा"वहा बहुत सारे मधुमक्खी के छाते हैं।" डाजी ने कंगवा से सारी बाते कही । कंगवा पहाड़ी पर कूदा। पर एक नई मुसीबत आ गई चील ने कंगवा को देख लिया । चील कंगवा को खाने के लिए उसके पीछे हात धो कर पीछे पड़ गया। कंगवा यह से वहा भाग रही थी । उसे एक छुपने के लिए जगह तो मिल गई पर चील भी वही पर खड़ा था उसका इंतजार करते हुए। मोलू तब तक पहाड़ चढ़ कर ऊपर आया ।
ऊपर आते ही मोलू ने चील को देख कर चुप गया ।डाजी उसके पास आई मोलू ने कहा " तूमें जोर जोर से चिलाना है मधुमक्खी को जगाना है और चील की तरफ जाना है। डाजी ने बिलकुल वैसा ही किया और चील के पास गई सारी मधुमक्खी चील के पीछे जाने लगी। तब तक मोलू ने कंगवा को बचा लिया।
तो आज की कहानी हमारी यही खत्म होती है । अगली कहानी लेकर जल्द आऊंगी । तब तक रीड द ड्रीम जर्नल ।
Thank you।
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